नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़, कलकत्ता : लोकतांत्रिक सूचकांक चुनावी प्रक्रिया, नागरिक स्वतंत्रता, राजनीतिक भागीदारी, सरकार के कामकाज और राजनीतिक संस्कृति जैसे विभिन्न संकेतकों के आधार पर किसी भी देश की लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की कार्यशैली का एक मापदंड है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर देशों की लोकतांत्रिक स्थिति का आकलन करने के लिए विभिन्न संगठन इस पर काम कर रहे हैं। यह संगठन सूचकांक की गणना के लिए अलग-अलग पद्धतियों और मानदंडों का उपयोग करते हैं। यह सूचकांक पांच अलग-अलग श्रेणियों में ६० (60 ) संकेतकों को ट्रैक करके दुनिया के १६७ (167) देशों में लोकतंत्र की स्थिति को मापता है – चुनावी प्रक्रिया और बहुतत्त्ववाद , सरकार का कामकाज,राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता। प्रत्येक श्रेणी को शून्य से दस (0 से 10) के पैमाने पर रेटिंग देने के लिए संकेतकों को जोड़ा जाता है, और समग्र सूचकांक स्कोर को निर्धारित करने के लिए पांच श्रेणी के स्कोर का औसत निकाला जाता है। १० (10) में से ८.०१ (8.01) और १० (10) के बीच कुल लोकतंत्र सूचकांक स्कोर वाले देशों को पूर्ण लोकतंत्र माना जाता है। जिनका स्कोर ६.०१ (6.01) और ८.०० ( 8.00) के बीच है, उन्हें त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जबकि इन देशों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और बुनियादी नागरिक स्वतंत्रताएं हैं, लेकिन अन्य पहलुओं में दोष हैं, जैसे कि राजनीति में भागीदारी का निम्न स्तर या एक अविकसित (या भारी पक्षपातपूर्ण) राजनीतिक संस्कृति। उपलब्ध आंकड़ें यह दर्शा रहें हैं की विश्व की केवल ४६ % (46% ) आबादी “विभिन्न प्रकार” के लोकतंत्र में रह रही है और बाकी ५४ % (54%) तानाशाही या सत्तावादी शासन में रह रहें हैं। जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न संकेतकों की कार्यप्रणाली के अनुसार अलग-अलग रैंकिंग और स्कोर ठीक किये जाते हैं। दो प्रमुख सूत्रों, इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU ) और वी-डेम (V-Dem / Varieties of Democracy Institute) इंस्टीट्यूट की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, भारत के लोकतांत्रिक सूचकांक ने हाल के वर्षों में कुछ उतार-चढ़ाव दिखाया है। आइए इन लोकतांत्रिक सूचकांक (Democracy Index ) के बारे में थोड़ा गहराई से जानें -कुल मिलाकर शासन का प्रकार पूर्ण लोकतंत्र, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, संकर शासन (मिश्रित ) ,सत्तावादी या तानाशाही में विभाजित है ।
पूर्ण लोकतंत्र – २१ (21) देश शामिल हैं — विश्व जनसंख्या का ६.४ % (6. 4 %) हिस्सा
त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र – ५३ (53) देश शामिल हैं — विश्व जनसंख्या का ३९ .३ % (39.3 %) हिस्सा
संकर या मिश्रित व्यवस्था- ३४ (34) देश शामिल हैं — विश्व जनसंख्या का १७ .२ % (17.2 %) हिस्सा
सत्तावादी या तानाशाही शासन — ५९ (59) देश शामिल हैं — विश्व जनसंख्या का ३७ १ % (37.1%) हिस्सा
Economist intelligence Unit (EIU) के अनुसार चार प्रकार के शासन में से प्रत्येक की विशेषताओं के बारे में थोड़ा विस्तार से जाने –
पूर्ण लोकतंत्र वे राष्ट्र हैं जहां:
नागरिक स्वतंत्रता और मौलिक राजनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। सरकारी जाँच और संतुलन की वैध प्रणालियाँ मौजूद हैं।लोकतांत्रिक कामकाज में सीमित समस्याएं हैं। मीडिया विविध और स्वतंत्र है।
त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र वे देश हैं जहां:
चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होते हैं। बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान किया जाता है, लेकिन कुछ समस्यायों पर प्रश्न चिन्ह खड़े हैं। शासन के कामकाज में भी कुछ समस्याएं हैं। पूरी तरह त्रुटिमुक्त नहीं हैं। मीडिया विविध और स्वतंत्र तो हैं पर इस विषय पर भी थोड़ा मतभेद है।
संकर या मिश्रित शासन वे राष्ट्र हैं जहां:
चुनावी धोखाधड़ी या अनियमितताएं नियमित रूप से होती हैं। राजनीतिक विरोध पर दबाव लगाया जाता है। भ्रष्टाचार व्यापक है और कानून का शासन कमजोर होता जा रहा है। मीडिया पर दबाव और प्रताड़ित किया जा रहा है। शासन के कामकाज में बहुत समस्याएं हैं।
सत्तावादी या तानाशाही शासन ऐसे राष्ट्र हैं जहां:
राजनीतिक बहुतत्त्ववाद अस्तित्वहीन हैं। जनसंख्या पर पूर्ण राजतंत्र या तानाशाही का शासन है। नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन और हनन आम बात है। चुनाव निष्पक्ष या स्वतंत्र बिल्कुल नहीं हैं (चुनावी प्रक्रिया ना के बराबर)। मीडिया राज्य के स्वामित्व वाली या सत्ताधारी शासन द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरी तरह से नियंत्रित होती है। न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है। सरकार की आलोचना सख्त रूप से सेंसर कर दी जाती है।
चलिए थोड़ा जानने की कोशिश करते हैं की हमारा देश “भारत” जो दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है विश्व के लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) में इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) के लोकतंत्र सूचकांक २०२१ (2021) के अनुसार, जिसमें १६७ (167) देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है, भारत १० (10) में से ६.९१ (6.91) के समग्र स्कोर के साथ ४६ (46) वें स्थान पर है। यह पिछले वर्ष से सुधार है, जब भारत ६.६१ ( 6.61) के स्कोर के साथ ५३ (53)वें स्थान पर था। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU ) भारत को “त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र” के रूप में वर्गीकृत करता है, जिसका अर्थ है कि यहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और बुनियादी नागरिक अधिकार हैं, लेकिन कमजोर शासन, कम राजनीतिक भागीदारी और राजनीतिक संस्कृति की कमी जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। राजनीतिक संस्कृति पर भारत का स्कोर सबसे कम ५ (5) है और चुनावी प्रक्रिया और बहुलवाद पर ८.६७ (8.67) का उच्चतम स्कोर है। नागरिक स्वतंत्रता पर इसे ६.१८ (6.18), राजनीतिक भागीदारी पर ७.२२ ( 7.22) और सरकार के कामकाज पर ७.५० ( 7.50) अंक मिले हैं। वी-डेम (V-Dem / Varieties of Democracy Institute) इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट २०२३ (2023) के अनुसार, जिसमें १७८९ से २०२२ (1789 – 2022) तक २०२ ( 202) देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है। भारत लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स (Liberal Democracy Index (LDI) ) में ९७ (97)वें और वर्ष २०२२ (2022) के चुनावी डेमोक्रेसी इंडेक्स (Electoral Democracy Index (EDI)) में १०८ (108)वें स्थान पर है। पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी गिरावट है, जब भारत लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स (Liberal Democracy Index (LDI) ) में ९३ (93)वें और चुनावी डेमोक्रेसी इंडेक्स (Electoral Democracy Index (EDI) में १०० (100)वें स्थान पर था। वी-डेम (V-Dem / Varieties of Democracy Institute) इंस्टीट्यूट भारत को “चुनावी निरंकुशता” के रूप में वर्गीकृत करता है, जिसका अर्थ है कि यहां नियमित चुनाव होते हैं। लेकिन भारत का लोकतंत्र नागरिक समाज का चुनावी राजनीति में भागीदारी और स्वतंत्र मीडिया के लिए सिकुड़ती जगह जैसे मुद्दों से भी जूझ रहा है । भारत लिबरल कंपोनेंट इंडेक्स ( Liberal Component Index (LCI)) में ९० (90)वें, समतावादी कंपोनेंट इंडेक्स (Egalitarian Component Index (ECI) ) में १२३ (123)वें, पार्टिसिपेटरी कंपोनेंट इंडेक्स (Participatory Component Index (PCI) ) में ७३ (73)वें और डिलिबरेटिव कंपोनेंट इंडेक्स (Deliberative Component Index (DCI)) में ९५ (95)वें स्थान पर है।
उपसंहार : इन रिपोर्टों से यह संकेत मिलता है कि भारत का लोकतंत्र बहुत हद तक मजबूत तो है लेकिन साथ -साथ कुछ चुनौतियों का सामना भी कर रहा है। सबसे बड़ी बात यह है के हमारे देश के लोकतंत्र में ताकत और अवसर दोनों हैं। यह रिपोर्ट लोकतंत्र की विविधता और जटिलता और इसके मूल्यों और सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए निरंतर सतर्कता और सुधार की आवश्यकता पर भी बहुत हद तक प्रकाश डालती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हमारा देश भारत जो दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है लेकिन विश्व के लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) में त्रुटिपूर्ण लोकतंत्रों की श्रेणी से पूर्ण लोकतंत्र की तरफ उभारने की प्रक्रिया को हमारे राजनितिक नेतृव्यों ( केंद्र और राज्य स्तरों पर ) को ही आगे आकर करना होगा।
बिधिवत सतर्कीकरण एवं डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस समाचार में दिया गया वक़्तवय और टिप्पणी एक निरपेक्ष न्यूज़ पोर्टल की हैसियत से उपलब्ध तथ्यों और Economist intelligence Unit (EIU) की समीक्षा के आधार पर दिए गये हैं । इन समीक्षा में दिये गए तथ्य पूर्णतः Economist intelligence Unit (EIU) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर दिए गये हैं।आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए न्यूज़ पोर्टल (हकीक़त न्यूज़ www.haqiquatnews.com) उत्तरदायी नहीं है। (हकीक़त न्यूज़ www.haqiquatnews.com) अपने सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से जागरूक न्यूज़ पोर्टल है।
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