Home » क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जिसपर हो रहा है सियासी घमासान?
राज्य

क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जिसपर हो रहा है सियासी घमासान?

नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर हमारे देश में चर्चा पुरे जोरों पर है। समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर २२ (22)वें विधि आयोग (law commission ) ने १४ (14)जून को सार्वजनिक तौर पर विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों से राय की मांग करते हुए परामर्श प्रक्रिया शुरू की है। तभी से पूरे देश में एक बार फिर समान नागरिक संहिता को लेकर बहस शुरू हो गयी है। कुछ लोग समान नागरिक संहिता को देश में लागू होने के पक्ष में है तो वहीं कुछ लोग इसके विपक्ष में अपना नजरिया रख रहें हैं । समान नागरिक संहिता (UCC ) एक अवधारणा है जो एक देश में सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के एकीकरण का प्रस्ताव करती है। हमारे देश में जहां विविध धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएं एक साथ मौजूद हैं, समान नागरिक संहिता (UCC ) लागू करना काफी बहस और चर्चा का विषय रहा है। इस कदम की संभावनाओं का एक आकलन करने की कोशिश करते हैं ।

क्या है समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)

समान नागरिक संहिता ( Uniform Civil Code) एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून है और आसान भाषा में कहें तो देश के हर एक नागरिक पर एक जैसा कानून लागू होगा चाहे वह किसी भी धर्म, संप्रदाय और जाति से हो। और सभी संप्रदाय  के लोगों के लिये शादी, तलाक, जमीन-जायदाद के बँटवारे, विरासत व बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होगा। दूसरे शब्दों में अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही “समान नागरिक संहिता” की मूल भावना है। फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए सामाजिक मामलों पर एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के क्यों न हों पर समान रूप से लागू होगा। हमारे देश  में आपराधिक कानून हर एक नागरिक के लिए सामान है जबकि नागरिक कानून देश में मौजूद अलग-अलग धर्म और वर्गों के द्वारा उनके धर्मों के अनुसार पर्सनल कानून फॉलो किए जाते हैं ।

                                                      ऐतिहासिक संदर्भ

हमारे देश में धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों का एक लंबा इतिहास रहा है। ये व्यक्तिगत कानून व्यक्तियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं, जिनमें विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेना आदि शामिल हैं। एक बहुलवादी समाज के रूप में हमारे देश  की सफलता उसकी अंतर्निहित विविधता के बीच इस एकता को बनाए रखने और पोषित करने की क्षमता में निहित है। कानूनी बहुलवाद को अपनाकर, भारत कई कानूनी प्रणालियों के सह-अस्तित्व को स्वीकार करता है और अपने विषम सामाजिक ताने-बाने से उत्पन्न होने वाली विविध कानूनी प्रथाओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं को समायोजित करने की आवश्यकता को पहचानता है। कानूनी बहुलवाद एक समाज के भीतर कई कानूनी ढाँचों के सह-अस्तित्व को संदर्भित करता है जहाँ औपचारिक कानूनी प्रणालियाँ, जैसे वैधानिक कानून, और अनौपचारिक कानूनी प्रणालियाँ जैसे प्रथागत कानून, दोनों महत्व रखती हैं। भारतीय संदर्भ में, कानूनी बहुलवाद धर्म पर आधारित विविध व्यक्तिगत कानूनों की मान्यता के साथ-साथ विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों को नियंत्रित करने वाले प्रथागत कानूनों के अस्तित्व में प्रकट होता है। यह कानूनी बहुलवाद भारतीय समाज की एक आंतरिक विशेषता है, जो अपनी विविध आबादी की विशिष्ट पहचान और प्रथाओं के संरक्षण और सम्मान के महत्व को पहचानता है। समान नागरिक संहिता (UCC ) का विचार भारतीय संविधान में निहित है। अनुच्छेद  ४४ (44)  में राष्ट्र को इसके कार्यान्वयन की दिशा में प्रयास करने का निर्देश दिया गया था लेकिन इस समान नागरिक संहिता ( UCC ) की अवधारणा को कार्यान्वित करने की प्रक्रिया में देश की कानूनी बहुलवाद के अस्तित्व को भी नकारा नहीं जा सकता है।

निष्कर्ष : हमारे देश  में समान नागरिक संहिता (UCC ) का कार्यान्वयन एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है। जबकि समान नागरिक संहिता (UCC ) समानता, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का वादा करता है लेकिन इसका दूसरा पहलु  शायद  सांस्कृतिक संवेदनशीलता के ताने बाने को भी बहुत हद तक झंझोर सकती है। समान नागरिक संहिता (UCC ) को लागू करने के किसी भी प्रयास में व्यापक परामर्श, आम सहमति बनाना और धर्मनिरपेक्षता, विविधता और व्यक्तिगत अधिकारों के सिद्धांतों की सुरक्षा पर जोर देना शामिल होना चाहिए। अंततः,हमारे देश  में अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी कानूनी प्रणाली की दिशा में किसी भी सार्थक प्रगति के लिए एकरूपता और विविधता के बीच संतुलन बनाना बहुत ही आवश्यक है।

बिधिवत सतर्कीकरण एवं डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस समाचार में दिया गया  वक़्तवय और टिप्पणी एक निरपेक्ष न्यूज़ पोर्टल की हैसियत से उपलब्ध  तथ्यों और समीक्षा के आधार पर दिया गया है। हमारा उदेश्य किसी संगठन/ प्रतिष्ठान  की कार्यशैली पर इच्छानुरूप टिप्पणी या किसी व्यक्ति या समूह पर अपने विचार थोपना नहीं है । (हकीक़त न्यूज़ www.haqiquatnews.com)  अपने सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से जागरूक न्यूज़ पोर्टल है।

About the author

Nanda Dulal Bhatttacharyya

Nanda Dulal Bhatttacharyya

पेशे से पत्रकार, निष्पक्ष, सच्ची और ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग का जुनून

Add Comment

Click here to post a comment