नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : बिहार के भागलपुर में गंगा पर बन रहा सुल्तानगंज-अगुआनी घाट का चार लेन पुल रविवार को रेत के महल की तरह भरभरा कर गिर जाना या उड़ीसा में घातक ट्रेन दुर्घटना कोई अकेला मामला नहीं है। नवनिर्मित राजमार्गों और पुलों का गिरना, नवनिर्मित अंडरपासों में पानी भर जाना और नई शुरू की गई ट्रेनों का टूटना अब आम दृश्य हैं। हमारा देश जिस गति से अपने बुनियादी ढाचों का निर्माण कर रहा है वाकई में यह एक सराहनीय और गर्व का विषय है। लेकिन अगर हम गुणवत्ता के मुद्दे को संबोधित नहीं करते हैं तो गर्व और श्रेष्ठता की भावना अल्पकालिक होगी। कितने किलोमीटर हाईवे बने, कितने पुल बने, कितनी ट्रेनें चलीं, यह दिखाने पर सरकार का फोकस है लेकिन कहीं न कहीं इन बुनियादी सरचनाओं के निर्माण में गुणवत्ता को नजरअंदाज किया जा रहा है और जिसका खामियाजा आम इंसान को भुगतना पर रहा है। आधारभूत संरचना (Infrastructure) किसी भी समाज की भौतिक आधारशिला है। एक देश का आधारभूत संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) उसके दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक गति मार्ग को निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभाता है।बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता मात्रा से अधिक मायने रखती है क्योंकि यह किसी देश के आर्थिक विकास, सामाजिक स्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव को प्रभावित करता है। निम्न-गुणवत्ता वाला बुनियादी ढाँचा बिना किसी बुनियादी ढाँचे से भी बदतर हो सकता है, क्योंकि यह अप्रत्याशित और प्रबंधन के लिए कठिन है। खराब नियोजित और निर्मित बुनियादी ढाँचा अपने नियोजित उपयोग को पूरी तरह से करने में सक्षम नहीं हो सकता है, और इससे दीर्घकालिक सार्वजनिक ऋण, दुर्घटनाएँ और पर्यावरणीय क्षति भी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को ३.७३७ (3.737) ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सूचीबद्ध किया है। हमारा देश २०२४ (2024) तक ५ (5) ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य बना रहा है, जो कि लगभग १३२ (132) करोड़ की वर्तमान बड़ी आबादी की आजीविका को पूरा करने के लिए जरूरी है और २०३५ (2035) तक यह आबादी लगभग १५४ ( 154) करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) में योगदान करने वाले सभी क्षेत्रों के लिए एक चरघातांकीय वृद्धि ( exponential growth) की आवश्यकता है। यानी कृषि, सेवा और उद्योग इसके अलावा, निर्यात विकास दर काफी अधिक होनी चाहिए। हमारे देश का आर्थिक विकास सही प्रौद्योगिकी ( technology) का उपयोग करके दोषारोपण की राजनीति से बाहर आकर एक सही परिणाम उन्मुख सकारात्मक राजनीतिक वातावरण के साथ, देश की अर्थव्यवस्था २०३५- २०४० (2035-2040) तक २० (20) ट्रिलियन डॉलर को पार करने की छमता रखती है। हमारा देश एक जीवंत लोकतंत्र है और राजनितिक विरोधाभास भी हैं। एक सही और जीवंत लोकतंत्र के लिये वैचारिक मतभेद सकारात्मक लोकतंत्र का सार है। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था और नागरिक जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सरकार और विपक्षी राजनितिक दलों को दोष प्रत्यारोप की सस्ती राजनीती से ऊपर आकर व्यापार, जनसांख्यिकी,संस्कृति, आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी,आदि के बीच एक सही और मजबूत तालमेल बनाने की बहुत जरूरत है। किसी भी तरह की प्रभावी संचालन के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे की बहुत आवश्यकता होती है। यह आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक भलाई को बढ़ावा देने और बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण तत्व है। हमारे देश के पास वांछित गुणवत्ता वाली बुनियादी ढांचा प्रणाली है, और इसके सभी तीन घटकों, अर्थात् मैट्रोलोजी, मान्यता और मानकों के पास अच्छी तरह से स्थापित अंतरराष्ट्रीय संबद्धताएं हैं। हालांकि,अंतरराष्ट्रीय संबद्धता के बावजूद हम गुणवत्तापूर्ण बुनियादी संरचना को सही अंजाम देने में नाकामयाब क्यों हो रहें हैं? शायद अब वह समय आ गया है जब हमारे देश के सब राजनीतिक नेतृत्व को देश और लोगों की बेहतरी के लिए राजनीतिक मतभेदों को दूर रखते हुए गंभीर और समयबद्ध तरीके से इन बुनियादी आधारभूत संरचना के गुणवत्ता के मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता है।
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