हक़ीकत न्यूज़ डेस्क, पटना :
जातिवादी राजनीति का नया यूटोपिया
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा सियासी कैनवास तैयार किया है। ‘जिसकी जितनी आबादी, उसे उतनी हिस्सेदारी’ का ऐलान करके पीके ने जातिवादी राजनीति का नया यूटोपिया गढ़ने की कोशिश की है। अपने सर्वे के आधार पर उन्होंने दावा किया कि बिहार की ५० (50) फीसदी जनता बदलाव चाहती है। लेकिन जनता नीतीश और तेजस्वी के अलावा किसे चुने ?
पच्चास प्रतिशत जनता चाहती है बदलाव: प्रशांत किशोर का दावा
सन् १९७७ (1977) में असरानी एक फिल्म लेकर आए- चला मुरारी हीरो बनने। इससे पहले असरानी एक हास्य कलाकार के तौर पर ख्याति हासिल कर चुके थे। लेकिन अब उनके भीतर डायरेक्टर बनने की तमन्ना जोर पकड़ने लगी थी। असरानी ने बतौर अभिनेता हमेशा करोड़ों दर्शकों को प्रभावित किया है लेकिन डायरेक्टर के रूप में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली, वैसे उनके मीनिंगफुल अफर्ट की आज भी सराहना होती है। देखें तो ऐसी समझ और परिस्थिति के शिकार अक्सर कई दिग्गज भी हो जाते हैं। डायरेक्टर हीरो बनने की कोशिश करता है तो हीरो डायरेक्टर बनना चाहता है। ऐसा सिनेमा ही नहीं बल्कि खेल और राजनीति में भी देखा जाता है। यहां हम चुनावी रणनीतिकार से जनसुराज दल के नेता बने प्रशांत किशोर की तुलना चला मुरारी हीरो बनने से बिल्कुल नहीं कर रहे हैं बल्कि उस अफर्ट को सामने रखना चाह रहे हैं जिससे हर जागरुक और समझदार शख्स अपने जीवन में एक बार जरूर गुजरता है। आज प्रशांत किशोर के भी अफर्ट से हर कोई वाकिफ है। प्रशांत किशोर मूलत: चुनावी रणनीतिकार रहे हैं, उन्होंने अपनी दक्षता से राज्य से लेकर केंद्र तक कई राजनीतिक शख्सियतों को ऊंचाई पर पहुंचाया है, सत्ता दिलाई और उनकी ब्रांडिंग की है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी भी शामिल हैं। लेकिन अब उन्होंने खुद ही सियासत के मैदान में कूदने की तैयारी कर ली। संभव है उन्होंने अपनी स्थिति का भी आकलन जरूर किया होगा। पिछले करीब दो साल से ज्यादा समय से प्रशांत पूरे बिहार का दौरा कर रहे हैं, सभाएं कर रहे हैं. ग्रासरूट्स पर लोगों के मिजाज को समझने की कोशिश कर रहे हैं और अपने संदेश भी पहुंचा रहे हैं।उनका दावा है उनके दौरे के बाद बिहार की जनता में एक जागरुकता आई है।
नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी पर तीसरा विकल्प
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के अलावा तीसरे विकल्प को लेकर जनता में एक बेचैनी है। इसी का नतीजा है कि प्रशांत किशोर ने आगामी २ (2) अक्टूबर को गांधी जयंती पर अपनी नई पार्टी जनसुराज लॉन्च करने का ऐलान किया है।
जनसुराज का ऐलान प्रशांत किशोर पर्दे के पीछे से पर्दे पर
प्रशांत किशोर कुछ पिछले दिनों से बतौर डायरेक्टर अपनी आने वाली पॉलिटिकल पिक्चर के इंटरव्यूज भी दे रहे हैं। उनके जितने भी इंटरव्यूज देखने को मिले हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि प्रशांत किशोर ने बिहार की सियासी बिसात पर एक बड़ा कैनवास तैयार करने की कोशिश की है। ऐसा कैनवास जिसमें जातिवादी राजनीति का एक नया यूटोपिया है। उनके प्लान में युवाओं, बुजुर्गों, दलितों, महादलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, मुस्लिमों और महिलाओं सबके लिए कुछ ना कुछ है। उन्होंने बिना किसी के साथ गठबंधन के प्रदेश की सभी २४३ (243) विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यानी २०२५ (2025) में उनका रियल डेब्यू होने जा रहा है ।अभी तक पर्दे के पीछे थे, अब पर्दे पर होंगे तो उनकी पॉलिटिकल पिक्चर हिट होती है या फ्लॉप, इसका इंतजार सभी को रहेगा।
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