हक़ीकत न्यूज़ डेस्क, पटना, बिहार : प्रशांत किशोर का रौद्र रूप पहली बार तब देखने को मिला जब उन्होंने जनसुराज पार्टी के कार्यकर्ताओं से एक बैठक के दौरान गुस्से में आकर तीखी बातें कीं। यह घटना मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के चंद्रहट्टी में आयोजित तिरहुत क्षेत्र के जनसुराज कार्यकर्ता सम्मेलन में हुई। इस सम्मेलन में जनसुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर पहली बार पार्टी की स्थापना के बाद कार्यकर्ताओं से सीधे तौर पर मिले थे। इस बैठक का उद्देश्य तिरहुत स्नातक उपचुनाव की तैयारी करना था, लेकिन यह बैठक अचानक एक अजीब मोड़ पर पहुंच गई। बैठक के दौरान जनसुराज पार्टी के एक नेता, मो. जावेद अख्तर उर्फ गुड्डू, पार्टी में चल रहे कुछ मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे। जावेद को यह महसूस हो रहा था कि पार्टी में कई नेता जुड़े और कई हटे, लेकिन इस पर कोई ठोस निगरानी नहीं हो रही है। जावेद इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन प्रशांत किशोर ने उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें लगातार बैठने के लिए कहा। इस स्थिति में जावेद बार-बार अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन प्रशांत किशोर का गुस्सा बढ़ता गया और उन्होंने उन्हें खुलेआम बैठ जाने का आदेश दिया। प्रशांत किशोर के तेवर यह दर्शा रहे थे कि पार्टी के अंदर अनुशासन का उल्लंघन नहीं सहा जाएगा। वे यह स्पष्ट करना चाहते थे कि जनसुराज पार्टी में किसी को भी अपनी इच्छाओं के अनुसार फैसले लेने की अनुमति नहीं होगी। बैठक के दौरान अन्य कार्यकर्ताओं ने भी जावेद को बैठने के लिए कहा और प्रशांत किशोर के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी। अंत में, गुस्से में आकर प्रशांत किशोर ने जावेद को बाहर जाने तक को कह दिया, जिससे बैठक का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।यह घटना पार्टी के अंदर अनुशासन बनाए रखने के प्रयासों को दर्शाती है, लेकिन यह भी बताती है कि कभी-कभी नेतृत्व में कड़ी बातें और गुस्से के साथ फैसले लेने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्रशांत किशोर ने यह साफ किया कि यदि किसी को पार्टी में रहना है तो उसे पार्टी के नियमों और अनुशासन का पालन करना होगा।
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