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सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम ( MSME ) बिहार की अर्थव्यवस्था में एक अच्छा योगदान ही नहीं बल्कि विकास दर और रोजगार के अच्छे अवसर पैदा करते हैं बशर्ते एक अनुकूल नीतिगत ढांचा हो ?

नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़, पूर्वी चम्पारण : सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सिर्फ बिहार की अर्थव्यवस्था में एक अच्छा योगदान ही नहीं बल्कि विकास दर और रोजगार के  अच्छे अवसर पैदा करते हैं। यह सेक्टर हमारे जैसे विकासशील देश में एक आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के इंजन के रूप में काम कर रहा है। रोजगार के मामले में बिहार की अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) का योगदान काफी अभूतपूर्व रहा है। बुनियादी ढांचे में भारी कमियों एवं चुनौतियों के बावजूद  इस सेक्टर का राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में  एक अच्छा योगदान रहा है।बिहार राज्य  में इस वैश्विक मंदी और आर्थिक मंदी के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME ) ने विकास और रोजगार सृजन की निरंतर दर बनाए रखने में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। हाल के वर्षों के दौरान इस सेक्टर ने बिहार की अर्थव्यवस्था में और लाखों लोगों की आजीविका के अवसरों के सृजन में योगदान देकर उल्लेखनीय वृद्धि का प्रदर्शन किया है। राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उधम ( MSME) एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस छेत्र  में संरचनात्मक ख़ामियों को पूरा कर राज्य एक उपयुक्त नीति ढांचा अपनाए ताकि इस छेत्र को सही प्रोत्साहन मिल सके। बिहार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों के आकार और संरचना, उत्पादों और सेवाओं की विविधता, उत्पादन के पैमाने और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के मामले में एक विषम और विविध प्रकृति की पेशकश करते हैं। बिहार में मध्यम लघु सूक्ष्म उद्यम ( MSME ) कुल उद्योगों की संख्या का लगभग        ९२( 92) प्रतिशत हैं और लगभग ४७०० (4700) उत्पादों का उत्पादन करते हैं। राज्य में सूक्ष्म,लघु और मध्यम  उद्यमों ( MSME) की  वृद्धि और विकास दर बहुत ही असंगत रही है। उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार ऐसे उद्यमों की संख्या में काफी कमी आई है। २०१७ -१८ (2017-18) में लगभग ३९६२ (3962) इकाइयों से घटकर २०१८ -१९ (2018-19) में 3737 इकाइयों और फिर २०१९ -२० (2019-20) में 3133 ईकाइयां रह गयीं हैं। और अगर हम इस छेत्र के कारोबार को देखें तो उनमें भी गिरावट आयी है। २०१७-१८ (2017-18) में ३८५ ६४ (385.64)  करोड़, २०१८ -१९ (2018-19) में २५३ ८५ (253.85) करोड़ और २०१९ -२० (2019-20) में ३१५ ५९ 315.59 करोड़। बिहार  में सूक्ष्म,लघु और मध्यम  उद्यमों ( MSME)  की चौथी अखिल भारतीय जनगणना के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि लगभग ७६% ( 76%) ये उद्यम राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और कुल विनिर्माण ( total manufacturing output ) उत्पादन में लगभग 65%  का बड़ा योगदान रहा हैं। केंद्रीय सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उदमों के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए बिहार राज्य में कई प्रमुख नीतिगत पहल की शुरुआत की है। इसमे लघु उद्योग विकास बैंक की स्थापना (SIDBI ),MSME  क्षेत्र के प्रचार और वित्तपोषण के लिए, क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट माइक्रो और स्माल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) की पहल और प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP ) के अंतर्गत  नए स्वरोजगार उपक्रमों/परियोजनाओं/सूक्ष्म उद्यमों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम  राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में उभरने और विकास के इंजन के रूप में जारी रहने की क्षमता रखते हैं ,बशर्ते एक पर्यावरण के अनुकूल नीतिगत ढांचा हो । बिहार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ( MSME ) लगातार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मूल्य श्रृंखला को निर्माताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं के रूप में  सहायता करते हैं। एक सहायक नीति ढांचा उद्यमिता विकास, मानव संसाधनों का एक सक्षम पूल, नवीनतम टेक्नोलॉजी का अनुप्रयोग, पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय बाजार संपर्क और द्विपक्षीय व्यापार समझौते आदि सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों( MSME) को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना देंगे। इन उद्यमों को  कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पर रहा है  जैसे की पर्याप्त ऋण की कमी , खराब और अपर्याप्त ढाँचागत सुविधाएं, अपर्याप्त पहुंच और विपणन संबंध, तकनीकी अप्रचलन और नई तकनीक का अपर्याप्त अनुप्रयोग, कुशल मानव संसाधनों की कमी । इनको सुधारने के लिये सरकार की तरफ से एक दीर्घकालिक  रणनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। सरकार द्वारा “मेक इन इंडिया”  जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम को अगर सही दिशा में अंजाम देना है तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ( MSME ) को  सहयोग के साथ साथ प्रोत्साहित भी करना पड़ेगा। सिर्फ राज्य और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और ग्रामीण औद्योगीकरण में इस क्षेत्र का बहुत ही निर्विवाद महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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