नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़, कोलकाता :गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में धूमधाम से हर साल मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की कुछ अलग और खास रौनक दिखाई देती है। पूरे १० (10) दिन तक लोग गणपति के रंग में रंगे नजर आते हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम देवता के रूप में बताया गया है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश की चतुर्थी तिथि बतायी गयी है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में माना जाता है। गणेश चतुर्थी इस साल २०२३ (2023) में १९ (19) सितंबर को है और २८ (28) सितंबर को समाप्त होगा। शुभ पूजा मुहूर्त १९ (19) सितंबर को सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक शुरू होगा । गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह उत्सव १० (10) दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। गणेश उत्सव का पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणपति बप्पा समृद्धि और बुद्धि के देवता हैं। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, उनका हर नाम बहुत चमत्कारी है। कहा जाता है कि जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। ऐसी मान्यता है कि गणेश उत्सव के दिनों में गणेश जी को घर में बैठाकर सच्चे मन से उनकी आराधना की जाये तो जीवन सुख-समृद्धि और खुशियों से भर जाता है साथ ही शुभ कार्यों में आ रही हर तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं । मान्यता है कि जो भी भक्त गणेश चतुर्थी में सच्चे मन से मंगल मूर्ति गणेश की उपासना करता है उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होती है। शास्त्रों के मुताबिक किसी भी देवी-देवता की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा विधान है। सबसे पहले गणपति जी की ही आरती की जाती है। विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है।
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ “
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