नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : हमारे देश में नये संसद भवन का २८ (28) मई २०२३ (2023) को उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। प्रधान मंत्री ने १० (10) दिसंबर २०२० (2020) को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था। पुराने ढांचे के साथ स्थिरता संबंधी चिंताओं के कारण मौजूदा संसद भवन परिसर के विकल्प हेतु २०१२ (2012) में तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार द्वारा वर्तमान भवन के कई विकल्पों का सुझाव देने के लिए एक समिति की स्थापना की गई थी। वर्तमान संसद भवन लगभग ९३ (93) वर्ष पुरानी संरचना है। यह भवन संरचनात्मक मुद्दों से पीड़ित माना जाता है और आने वाले कल में देश की बढ़ती हुई आबादी और इसके चलते परिसीमन (Delimitation) के कारण सांसदों की संख्या में बड़ोतरी को मद्दे नज़र रखते हुये इस नये संसद भवन निर्माण का अगास किया गया है । नए परिसर का आकार षटकोणीय है। यह मौजूदा परिसर के बगल में बनाया गया है और पहले संसद भवन के लगभग बराबर है । इमारत को भूकंप प्रतिरोधी होने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसमें भारत के विभिन्न हिस्सों से स्थापत्य शैली शामिल है। लोकसभा और राज्यसभा के लिए प्रस्तावित कक्षों में वर्तमान में मौजूद सदस्यों की तुलना में अधिक सदस्यों को समायोजित करने के लिए बड़ी बैठने की क्षमता होगी। देश में बढ़ती जनसंख्या और परिणामी भावी परिसीमन के कारण सांसदों की संख्या में बड़ोतरी हो सकती है इसको मद्दे नज़र रखते हुये नए परिसर के लोकसभा कक्ष में ८८८ (888) और राज्यसभा कक्ष में ३८४ (384) सीटें होंगी। वर्तमान संसद भवन के विपरीत इसमें केंद्रीय कक्ष नहीं होगा। संयुक्त सत्र के मामले में लोकसभा कक्ष १२७२ (1272) सदस्यों को समायोजित करने में सक्षम होगा। शेष भवन में मंत्रियों के कार्यालय और समिति कक्षों के साथ ४ (4) मंजिलें हैं। भवन का निर्मित क्षेत्र लगभग २०, ८६६ (20,866) वर्ग मीटर है। संसद भवन में ३ (3) प्रवेश द्वार हैं, जिनके नाम हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। नए संसद भवन में एक ‘सेंगोल’ की स्थापना भी की जायेगी।सेंगोल एक तमिल शब्द “सेम्मई” से आया है जिसका अर्थ है धार्मिकता। यह सोने और चांदी से बना एक राजदंड है । सेंगोल ५ (5) फीट लंबा है और शीर्ष पर एक सुनहरा गोला है। ओर्ब में नंदी की नक्काशी है । सेंगोल को न्याय, सत्ता के हस्तांतरण और सुशासन के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इसे १४ (14) अगस्त, १९४७ (1947) को भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को प्रस्तुत किया गया था। सेंगोल ( राजदंड) भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की याद दिलाता है। इसकी उत्पत्ति चोल वंश से हुई थी जो भारत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली राजवंशों में से एक था।सेंगोल वर्तमान में इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू गैलरी में रखा हुआ है। प्रेस सूचना कार्यालय के अनुसार, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाने का फैसला किया है। सेंगोल को भी २८ (28) मई, २०२३ (2023) को दिल्ली में नए संसद भवन में रखा जाएगा।संसद में सेंगोल ( राजदंड )की स्थापना एक महत्वपूर्ण घटना है। सेंगोल ( राजदंड ) हमारे देश की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की यात्रा का प्रतीक है। सेंगोल को संसद भवन में रखकर सरकार यह स्पष्ट संदेश दे रही है कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र (sovereign nation) है जो लोकतंत्र और लोकतान्त्रिक मूल्यों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
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