हक़ीकत न्यूज़ डेस्क, मुजफ्फरपुर, बिहार : बिहार के मुजफ्फरपुर में एक बस चालक, मुन्ना नेपाली, ने अपनी आखिरी सांस लेते हुए तीस यात्रियों की जान बचाने का अद्भुत साहस दिखाया। किशनगंज से पटना जा रही बस में अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। जैसे ही उन्हें सीने में तेज दर्द और बेचैनी महसूस हुई, उन्होंने अपनी हालत को नज़रअंदाज करते हुए सबसे पहले बस और उसमें सवार यात्रियों को सुरक्षित करने का फैसला लिया। दर्द और कमजोरी के बावजूद उन्होंने बस को सड़क किनारे सावधानी से रोक दिया, ताकि बस का संतुलन न बिगड़े और कोई हादसा न हो। घटना मुजफ्फरपुर के कुढ़नी थाना क्षेत्र में बलिया ओवरब्रिज के पास हुई। बस, जो अपनी रफ्तार में चल रही थी, अचानक रुक गई। अगर चालक समय रहते बस को किनारे नहीं करते तो बस डिवाइडर से टकरा सकती थी, जिससे बड़ा हादसा हो सकता था। सभी यात्री उनकी तत्परता और साहस को देख कर हैरान रह गए। जैसे ही बस किनारे रुकी, सभी यात्री सुरक्षित बाहर आ गए। लेकिन उसी समय चालक ने स्टेयरिंग पर ही दम तोड़ दिया।उनकी बहादुरी और जिंदादिली ने बस में सवार सभी यात्रियों की जान बचाई। उनकी मौत की खबर ने यात्रियों को गहरा झटका दिया, लेकिन उनके साहसिक कृत्य ने सभी के दिलों में उनके लिए सम्मान भर दिया। मुन्ना नेपाली का यह कृत्य एक मिसाल बन गया कि किस तरह कर्तव्यनिष्ठा और दूसरों की जान बचाने की भावना किसी को असली हीरो बना देती है।
ड्राइवर की मौत कब हुई?
ड्राइवर की मौत उस समय हुई जब उन्होंने बस को सड़क किनारे सुरक्षित रोक दिया था। हार्ट अटैक के दौरान बस में संतुलन बनाए रखते हुए जैसे ही उन्होंने बस को किनारे खड़ा किया, उनकी जान चली गई। उनकी आखिरी साँसें बस की स्टेयरिंग पर ही थम गईं।
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