नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़, पटना : छठ पूजा, जिसे छठ व्रत या छठ महापर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीन व्रतों में से एक है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। छठ पूजा की परंपरा कई प्राचीन कथाओं से जुड़ी है, जैसे कि मान्यता है कि रामायण और महाभारत के समय से यह पूजा की जाती रही है। भगवान राम और माता सीता ने अयोध्या लौटने पर सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की शुरुआत की थी। छठ पूजा में छठी मैया का विशेष महत्व है, जो संतान सुख और परिवार की समृद्धि देने वाली देवी मानी जाती हैं। छठ पूजा सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया की आराधना का पर्व है, जो जीवन और सृष्टि के संरक्षण के लिए समर्पित है। इस अनुष्ठान में निर्जला व्रत, पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान, और सूर्य देवता को अर्घ्य देना शामिल है। छठ पूजा चार दिनों तक चलती है और इसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य जैसे अनुष्ठान होते हैं। जिसमें व्रती भोजन और जल का त्याग कर संयम का पालन करते हैं। इस व्रत में विशेष नियमों का पालन करना होता है और इसे कठिन माना जाता है। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन, खरना के दौरान, व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करते हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के लिए व्रती जलाशय के किनारे जाते हैं और सूर्यास्त के समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। अंतिम दिन, उषा अर्घ्य के दौरान, व्रती सूर्योदय से पहले जलाशय में खड़े होकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं और इसके बाद व्रत का समापन होता है। छठ पूजा के दौरान, व्रती और उनके परिवार वाले प्रसाद के रूप में ठेकुआ, खजूर, फल और अन्य पारंपरिक पकवान बनाते हैं। यह प्रसाद सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है और बाद में इसे वितरित किया जाता है। छठ पूजा का महत्व इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रकृति में निहित है, जो समर्पण, शुद्धता और परिवार के साथ मिलकर उत्सव मनाने की भावना को दर्शाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है, क्योंकि इसे विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग साथ मिलकर मनाते हैं। छठ पूजा की विशेषता इसकी वैदिक परंपराओं में भी देखी जा सकती है, जैसे कि ऋग्वेद में वर्णित सूर्य पूजन और उषा पूजन। यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान की भावना को भी प्रकट करता है, जिसमें सूर्य और जल को जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का प्रतीक भी माना जाता है। छठ पूजा में पारंपरिक लोक गीतों का भी विशेष स्थान होता है, जो छठ पूजा के महत्व को उजागर करते हैं और भक्तों को मानसिक रूप से इस पूजा से जोड़ते हैं। इन गीतों में छठी मैया और सूर्य देवता की महिमा का वर्णन होता है। छठ पूजा के गीतों में विशेष रूप से जल, सूर्य और प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान की भावना व्यक्त की जाती है। ये गीत नदी के किनारे, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गाए जाते हैं, जिससे एक अद्भुत और आध्यात्मिक वातावरण निर्मित होता है। छठ पूजा के गीतों की धुनें और बोल इतने प्रेरणादायक होते हैं कि व्रती और श्रद्धालु अपनी थकान और भूख को भूलकर पूरी श्रद्धा के साथ पूजा में लीन हो जाते हैं। इन गीतों के माध्यम से, लोग अपनी प्रार्थनाएं और कामनाएं सूर्य देवता और छठी मैया तक पहुंचाते हैं। छठ पूजा के गीतों का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ये गीत पीढ़ी दर पीढ़ी संचारित होते रहे हैं, जिससे यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान बना रहता है बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी बन जाता है। ये गीत बच्चों और युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हैं और उन्हें अपने पूर्वजों की परंपराओं और मूल्यों का सम्मान करना सिखाते हैं। छठ पूजा के गीतों में लोक जीवन की सादगी, प्रकृति के प्रति प्रेम और दैनिक जीवन की चुनौतियों के प्रति साहस की झलक मिलती है। इन गीतों को गाने वाले कलाकार भी इस पर्व की भावना को अपनी आवाज़ और भाव-भंगिमा के माध्यम से जीवंत कर देते हैं। छठ पूजा के गीतों की रिकॉर्डिंग और प्रसारण से इस पर्व की लोकप्रियता और भी बढ़ी है, और यह भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। इस प्रकार, छठ पूजा के गीत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा हैं बल्कि ये भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण का भी एक माध्यम बन गए हैं। इन गीतों के माध्यम से, छठ पूजा की परंपरा और इसकी आध्यात्मिकता विश्व भर में फैल रही है।छठ पूजा का इतिहास विभिन्न कालों में बदलता रहा है, और आधुनिक काल में इसे एक बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह अनुष्ठान, भक्ति और गहन आध्यात्मिक अर्थ से भरा है। छठ पूजा का पर्यावरणीय महत्व भी है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सम्मान किया जाता है। इस प्रकार, छठ पूजा भारतीय संस्कृति की एक अनूठी और समृद्ध परंपरा है, जो आज भी बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है।
सूर्य देव की आराधना में लीन,छठी मैया की महिमा अपरंपार “छठ पूजा- सूर्य उपासना का महापर्व”
2 months ago
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Nanda Dulal Bhatttacharyya
पेशे से पत्रकार, निष्पक्ष, सच्ची और ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग का जुनून
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