हक़ीकत न्यूज़ डेस्क, पटना, बिहार : प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देने का दावा किया है। उनका कहना है कि वे राज्य को जाति और पारिवारिक राजनीति के जकड़न से मुक्त करना चाहते हैं। इसके लिए वे “जन सुराज” के माध्यम से एक अलग राजनीति की बात करते हैं, जहां अपराध पर नियंत्रण और जन समस्याओं पर फोकस होगा। वे शिक्षित और साफ-सुथरी छवि वाले लोगों को राजनीति में लाने की बात भी करते हैं। उनके पास “5+3” का एक नया फॉर्मूला है, जिसे वे जातिगत राजनीति के खिलाफ हथियार मानते हैं। हालांकि, प्रशांत किशोर को खुद विरोधाभासों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा था कि वे शिक्षित लोगों को उम्मीदवार बनाएंगे, लेकिन हाल के उपचुनाव में उनके द्वारा दिए गए कुछ उम्मीदवार केवल इंटर तक पढ़े-लिखे हैं और उन पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इसके साथ ही, वे गांधी जी को अपना आदर्श मानते हैं और शराबबंदी का विरोध करते हैं, जिससे उनके सिद्धांतों में और भी विरोधाभास दिखता है। बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञ संजय कुमार का मानना है कि प्रशांत किशोर जातिगत राजनीति से मुक्ति का दावा करते हैं, लेकिन वे खुद एक “सियासी कॉकटेल” तैयार कर रहे हैं जिसमें विभिन्न जातीय समूह शामिल हैं। ऐसे में, वे जिस जातिवाद को खत्म करने की बात करते हैं, उसी में उलझते हुए दिखाई देते हैं।
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