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“बुढ़ापे के सपने हुए चूर, अब घर की जगह ऑफिस के चक्कर मजबूरी”

हक़ीकत न्यूज़ डेस्क, समस्तीपुर, बिहार : समस्तीपुर जिले के धमौन गांव की उर्मिला देवी और कई अन्य परिवारों ने सहारा इंडिया में अपनी मेहनत की कमाई बड़े सपनों के साथ जमा की थी। उनका मानना था कि यह पैसा उन्हें भविष्य में लाभ देगा, और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। उर्मिला ने करीब डेढ़ लाख रुपये जमा किए थे, यह सोचकर कि इससे वह अपना घर बना पाएंगी और बुढ़ापे में इसका उपयोग कर सकेंगी। लेकिन आज, वह अपने ही पैसों के लिए दर-दर भटक रही हैं। हर बार जब उर्मिला सहारा इंडिया के ऑफिस जाती हैं, उन्हें सिर्फ यही बताया जाता है कि “जब ऊपर से आदेश आएगा, तब आपका पैसा वापस कर दिया जाएगा।” पांच साल पहले जब उन्होंने यह पैसा जमा किया था, तो उन्हें एजेंट ने भरोसा दिलाया था कि उनकी जमा राशि दोगुनी या तिगुनी हो जाएगी। इस आश्वासन पर विश्वास करके उन्होंने अपनी जीवनभर की बचत सहारा इंडिया में डाल दी। परंतु आज, उनके पास केवल आश्वासन और निराशा बची है। उर्मिला देवी की कहानी केवल उनकी नहीं है; यह उस समुदाय की भी है जिसने अपने सपनों और भविष्य को सहारा इंडिया में भरोसे के साथ निवेश किया था। अब ये सभी लोग अपनी जमा पूंजी के लिए भटक रहे हैं। उर्मिला ने अपनी तकलीफ साझा करते हुए कहा कि यह पैसा उनके सपनों और भविष्य की उम्मीद था। लेकिन अब यह उनके लिए एक बोझ और निराशा का कारण बन गया है। उनका सपना था कि वह अपने जीवन के अंतिम वर्षों में इस पैसे का इस्तेमाल कर सकें, लेकिन अब वह सिर्फ अपने ही पैसों को पाने के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर हैं।

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