दानिश इक़बाल, हक़ीकत न्यूज़, कलकत्ता : आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मुक्कदस मौके पर हज़ारों लोगों ने जुलूस-ए -मोहम्मदी कलकत्ता के तपसिआ क्षेत्र में बहुत ही जोश के साथ हिस्सा लिया। इस जुलुस की शिरकत मौलाना मुशर्रफ़ हुसैन साहब की देख रेख में हुई। जुलुस में मुफ़्ती कमरुद्दीन मिस्बाही, मुफ़्ती एतेशां साहब, मौलाना मोहम्मद जसीम, अहमद साहब क़िब्ला, मुफ़्ती इश्तयाक साहब, मौलाना नासिरे मिल्लत, मौलाना मुर्शिद रज़वी के अलावा कई मस्जिदों के मौलाना भी मौजूद थे। मिलाद -उन -नबी के इस त्योहार का इतिहास काफी पुराना है। इस शब्द का मूल मौलिद है जिसका अर्थ अरबी में “जन्म” है। अरबी भाषा में ‘ मिलाद -उन-नबी’ का मतलब है हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन, पैगंबर मुहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर पर पर इस दिन को जश्न के रुप में मनाया जाता है। इसी तारीख को इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था । इस्लाम के रुप में उनके द्वारा विश्व को एक शानदार तोहफा दिया गया था और रसूल के नबी मुहम्मद साहब ने इस्लाम के द्वारा लोगो को जीने का नया तरीका सिखाया। मिलाद उन- नबी इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रबी अल -अव्वल महीने के बारहवे दिन मनाया जाता है । इस्लाम धर्म में मिलाद उन- नबी विश्व का सबसे बड़ा जश्न माना जाता है।इस दिन पैगंबर मुहम्मद के द्वारा बताये गये मार्गों और विचारों को याद किया जाता है तथा कुरान का पाठ किया जाता है। इसके साथ ही बहुत सारे लोग इस दिन मक्का मदीना या फिर दरगाहों जैसे प्रसिद्ध इस्लामिक दर्शन स्थलों पर जाते है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन को नियम से निभाता है, वह अल्लाह के और भी करीब हो जाता है और उसे अल्लाह की विशेष रहमत प्राप्त होती है। इस दिन रात भर प्रार्थनाएं की जाती है, सभाओं का आयोजन किया जाता है और उनकी शिक्षा को समझा जाता है। इस दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन पैगंबर मुहम्मद साहब की शिक्षा को सुना जाये तो मौत के बाद जन्नत की प्राप्ति होती है। इस दिन सभी नमाज पड़ने के लिए मस्जिदों में जाते है। तमाम प्रकार के जुलूस निकाले जाते है। हजरत मुहम्मद साहब के जन्म की खुशी में जो गीत गाया जाता है, उसे मौलूद कहा जाता है। इस संगीत को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस संगीत को सुनने वाले को जन्नत नसीब होती है। इसके साथ ही इस दिन लोगो द्वारा उनके जयंती की खुशी में मिठाईयां भी बांटी जाती है। यह दिन हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि भले ही पैगंबर मुहम्मद हमारे बीच में ना हो लेकिन उनकी शिक्षा समाज को आज भी अच्छा बनाने का प्रयास कर रही हैं।
अल्लाह आपको ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मुक्कदस मौके पर तमाम, खुशियां अता फरमाएं और आपकी इबादत कबूल करें। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक
September 28, 2023
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Nanda Dulal Bhatttacharyya
पेशे से पत्रकार, निष्पक्ष, सच्ची और ज़मीन से जुड़ी रिपोर्टिंग का जुनून
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