नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : मानवीय स्थिति “दयनीय” और “खुश” के बीच एक विशाल वर्णक्रम पर स्थित है। मई २०२३ (2023) में, स्टीव एच हैंके का वार्षिक दुख सूचकांक (HAMI) २०२२ (2022) दुनिया के १५७ (157) देशों की सूची जारी की गई है। इस दुख सूचकांक (HAMI) का आंकलन साल के अंत में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, बैंक-उधार दरों और सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) की वृद्धि जैसे क्षेत्रों को देखने के बाद निर्धारित की गयी है। स्टीव हैंके ने इस वार्षिक दुख सूचकांक (HAMI) में दुनिया के १५७ (157) देशों की सूचकांक अनुसार कारण भी दर्शाये हैं। देशों के मेट्रिक्स की तुलना हमें इस बारे में बहुत कुछ बता सकती है कि दुनिया में लोग दुखी या खुश कहां हैं। हैंके का वार्षिक दुख सूचकांक (HAMI) हमें बहुत हद तक कारण के साथ -साथ उत्तर भी देने की कोशिश कर रहा है की उस दुख को कम करने का अचूक तरीका आर्थिक विकास के माध्यम से ही संभव है। इस दुःख सूचकांक के अनुसार, जिम्बाब्वे दुनिया के सबसे दयनीय देशों की सूची में सबसे ऊपर है। ज़िम्बाब्वे के अलावा, वेनेजुएला, सीरिया, लेबनान, सूडान जैसे अन्य देशों ने २०२२ (2022) में दुनिया के सबसे दयनीय देशों की सूची में शीर्ष ५ (5) स्थान प्राप्त किए हैं। सीरिया के अलावा, शीर्ष ५ (5) देशों की दुर्दशा में प्रमुख योगदान कारक मुद्रास्फीति है। जबकि सीरिया बहुत ज्यादा बेरोजगारी से प्रभावित है ।शीर्ष १५ (15) में आने वाले अन्य देश अर्जेंटीना, यमन, यूक्रेन, क्यूबा, तुर्की, श्रीलंका, हैती, अंगोला, टोंगा और घाना हैं ।सूची के अनुसार, प्रमुख योगदान कारक के रूप में बेरोजगारी के साथ भारत १०३ (103) वें स्थान पर है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के सबसे खुशहाल देश फिनलैंड देशों की सूची में १०९ (109) वें स्थान पर है जहाँ बेरोजगारी सबसे अधिक योगदान कारक है। पाकिस्तान जो वर्तमान में आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है दुनिया के सबसे दयनीय देशों की सूची में ३५ (35) वें स्थान पर है, जिसमें मुद्रास्फीति सबसे अधिक योगदान कारक है।
जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में एप्लाइड इकोनॉमिक्स (applied economics) के प्रोफेसर स्टीव एच हैंके द्वारा वार्षिक दुख सूचकांक (HAMI) २०२२ (2022) संकलित किया गया है।इस सूचकांक में बेरोजगारी (दो से गुणा), मुद्रास्फीति और बैंक-उधार दरों का योग है, प्रति व्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वार्षिक प्रतिशत कितना परिवर्तन घटा है। पहली बार हैंके के २०२२ (2022) वार्षिक दुख सूचकांक ( Misery Index) ने बेरोजगारी-दर घटक को दोगुना कर दिया है।
उपसंहार : अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक आशुचित्र ( snapshot ) प्रदान करने के लिए १९७० (1970) के दशक में आर्थर ओकुन द्वारा पहला दुख सूचकांक बनाया गया था। दुख सूचकांक मुद्रास्फीति दर और बेरोजगारी दर के बराबर है; सूचकांक जितना अधिक होगा, औसत नागरिकों द्वारा उतना ही अधिक दुख महसूस किया जाएगा। यह हाल के दिनों में अन्य आर्थिक संकेतकों जैसे कि बैंक उधार दरों को भी शामिल किया गया है। जहाँ तक आकड़ों का सवाल है दुख सूचकांक को सुविधाजनक और बहुत हद तक सटीक छंदोबद्ध ( metric ) माना जाता है। हाल के दौर में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के समग्र स्वास्थ्य को मापने के तरीकों के रूप में मूल दुख सूचकांक की विविधताएं काफी हद तक लोकप्रिय हो गई हैं। अगर हम इन १५७ (157) देशों के दुख सूचकांक को बारीकी से देखें तो बहुत सारे कारकों के साथ जो बड़ी समस्या अधिकांश देशों में उभर कर आ रही है वह है बेरोजगारी और मुद्रास्फ़ीति आम भाषा में कहें तो महंगाई। बेरोजगारी और मुद्रास्फीति दोनों ही किसी भी देश की आर्थिक स्तिथि का आंकलन करने के सही प्राचल ( parameter ) हैं । लेकिन अहम बात यह है की बेरोजगारी और मुद्रास्फीति का संयुक्त मिश्रण किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह धवस्त करने में पूरी तरह सक्षम हैं। अगर हम इस दुख सूचकांक( Misery Index) को हमारे देश के सन्दर्भ में देखें तो सबसे बड़ा और अहम मुद्दा बेरोजगारी का उभर कर आ रहा है जहाँ हमारे देश की एक बड़ी युवा आबादी बेरोजगारी के दंश से झूझ रही है और इस बेरोजगारी के मुद्दे को केंद्र और राज्य सरकारों को समय रहते युद्ध स्तर पर समयबद्ध वस्तुनिष्ठ तरीके से संबोधित करने की बहुत ही आवश्यकता है।
बिधिवत सतर्कीकरण एवं डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस समाचार में दिया गया वक़्तवय और टिप्पणी एक निरपेक्ष न्यूज़ पोर्टल की हैसियत से उपलब्ध तथ्यों और (Hankes Annual Misery Index 2022) की समीक्षा के आधार पर दिए गये हैं । इन समीक्षा में दिये गए तथ्य पूर्णतः (Professor Steve.H Hanke The John Hopkins University) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर दिए गये हैं।आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए न्यूज़ पोर्टल (हकीक़त न्यूज़ www.haqiquatnews.com) उत्तरदायी नहीं है। (हकीक़त न्यूज़ www.haqiquatnews.com) अपने सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से जागरूक न्यूज़ पोर्टल है।
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