नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : हमारा देश १. २ (1.2) अरब से अधिक आबादी के साथ विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। पिछले दशक में भारत विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है और साथ ही उसका आर्थिक विकास भी हुआ है | हमारा देश अब सही मायने में आर्थिक रूप से एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक विशिष्ट समय अवधि में देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य है और समग्र घरेलू उत्पादन के व्यापक माप के रूप में जाना जाता है । यह किसी दिए गए देश के आर्थिक स्वास्थ्य के व्यापक स्कोरकार्ड के रूप में कार्य करता है। हमारे देश की वर्तमान अर्थव्यवस्था ३.७३७ (3.737 ) ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी है। अगर हम अपने आर्थिक विकास की गति को देखें तो एक ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छूने में लगभग ६७ (67) साल लग गए। दूसरे ट्रिलियन को आठ साल लगे और तीसरे ट्रिलियन को छूने में लगभग नौ साल लगे २०१५ (2015) से अब तक। अर्थव्यस्था के आंकलन में हमारा देश रूस, इटली, ब्राजील, यूनाइटेड किंगडम से आगे निकल गया है और सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) में दसवें नंबर से पांचवे स्थान तक पहुँच गया है। हमारा देश इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में जर्मनी की सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) को छूने की दस्तक दे रहा है और चौथे स्थान की और अग्रसर हो रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ साथ और एक बहुत अहम मुद्दा देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है और बहुत हद तक सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में इसका अवदान बहुत हद तक मायने रखता है वह है फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट ( FDI) अगर हम हमारे देश में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट ( FDI) का आंकलन देखें तो हमारा देश एक उभरते हुए आर्थिक विश्व खिलाड़ी के रूप में नज़र आयेगा। स्वतंत्रता पाने के बाद १९४७ (1947) से २०१४ (2014) तक विदेशी पूजीं का विनियोग( FDI) ४१८ (418) बिलियन डॉलर था। लेकिन २०१४(2014) के बाद से इसमें बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है २०१५ (2015) से २०२२ (2022) तक ५३२(532) बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है। पिछले ८ (8) वर्षों में भारत को ६२ (62) क्षेत्रों में १६२ (162) देशों से फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) मिला है। इसमें सबसे ज्यादा निवेश सर्विस सेक्टर (finance, Banking, insurance) कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर, टेलीकम्यूनिकेशन, ट्रेडिंग,कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, पावर, ड्रग और फार्मास्युटिकल्स, होटल और टूरिज्म, में रहा है। हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद ( GDP)का लगभग ७०% ( 70%) घरेलू खपत द्वारा संचालित है। हमारा देश दुनिया का छठा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बना हुआ है। निजी खपत के अलावा, भारत की जीडीपी सरकारी खर्च, निवेश और निर्यात से भी चलती है। २०२२ (2022) में भारत दुनिया का ६(6) वां सबसे बड़ा आयातक और ९ (9) वां सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। नीति व्यवस्था किसी देश में निवेश प्रवाह को चलाने वाले प्रमुख कारकों में से एक है। अंतर्निहित मैक्रो फंडामेंटल के अलावा, किसी राष्ट्र की विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता अनिवार्य रूप से उसकी नीति व्यवस्था पर निर्भर करती है और यही नीती विदेशी निवेश प्रवाह को बढ़ावा देता है या रोकता है। वास्तव में हमारा देश अभूतपूर्व वित्तीय विकास के दौर से गुजर रहा है, लेकिन साथ ही साथ हमारे निर्णयकर्ताओं को सिक्के के दूसरे पहलु जैसे की आर्थिक असमानता और बढ़ती बेरोजगारी को गंभीरता से संबोधित करने की बहुत ही आवश्यकता है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE ) के अनुसार २५ (25) वर्ष से कम आयु के लोग भारत की ४०% (40%) से अधिक आबादी के खाते में हैं उनमें से लगभग आधे – 45.8% – दिसंबर २०२२ (2022) तक बेरोजगार थे। कुछ विश्लेषकों ने इस बेरोजगारी की स्थिति को एक टीकिंग “टाइम बम” के रूप में वर्णन किया है और आने वाले कल में सही दिशा में रोजगार सृजन की संभावना को अंजाम नहीं देने की वजह से सामाजिक अशांति की संभावना की चेतावनी भी दी है । रोजगार सृजन के अवसरों में वृद्धि के बिना अर्थव्यवस्था में शानदार और अभूतपूर्व विकास देश के आम नागरिकों को सही सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान नहीं कर सकता है।
उपसंहार : हर सिक्के के दो पहलु होते हैं जहाँ आने वाले कल में हमारा देश अर्थव्यस्था में नयी ऊंचाइयां छूने की कगार पर खड़ा है और दुनिया के सबसे अधिक अरबपतियों की संख्या में आ रहा है। दूसरी तरफ लगभग ४७.६ (47.6) करोड़ श्रमिकों के साथ भारतीय श्रम शक्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी श्रम शक्ति है लेकिन इस श्रम शक्ति का अधिकांश हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है और इस असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को अधिकतम सामाजिक और वित्तीय असुरक्षा से गुजरना पड़ता है जिसके चलते समाज का एक बड़ा तबका अत्यधिक आय असमानता से जूझ रहा है।अब देखना यह है की इन आर्थिक बुलंदियों और एक बेहतर कल का आम मेहनत कश इंसान कितना हिस्सा बन पाता है।
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