नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़ : कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस दल की उल्लेखनीय जीत अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि पिछले एक दशक से कांग्रेस राजनीतिक सफलता पाने के लिए लगातार संघर्ष करती आ रही है । अगर हम कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की चुनावी समीकरण को ध्यान से देखें तो इस जीत का श्रेय एक मजबूत और एकीकृत स्थानीय नेतृत्व का था। पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने मदद के लिए कदम तो बढ़ाया, लेकिन चुनावी अभियान की बागडोर मूलतः स्थानीय नेतृत्व के हाथों में थी। कांग्रेस की स्थानीय नेतृत्व का व्यापक सामाजिक गठबंधन और आम इंसान के लिए सही लाभार्थी योजनाओं की पेशकश कांग्रेस को जीतने की कगार तक लेने में बहुत ज्यादा मददगार साबित हुई। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी एक अलोकप्रिय सरकार के साथ चुनाव में उतरी। यह शासन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए अनावश्यक ध्रुवीकरण पर अत्यधिक निर्भर थी। सबसे बड़ी बात यह थी की भाजपा ने अपने स्थापित नेताओं को अलग-थलग कर दिया लेकिन विश्वसनीय नए चेहरों को पेश करने में पूरी तरह असमर्थ रही। दूसरी तरफ राज्य की इकाई बहुत ज्यादा राष्ट्रीय नेतृत्व पर निर्भरशील हो गयी।जिसका खामियाजा उनको भुगतना पड़ा। अगर हम राज्यों के चुनावों को थोड़ा सूक्ष्म तरीके से देखें तो राज्यों के चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की बहुत ज्यादा अहमियत रहती है राष्ट्रीय नेतृत्व एक कैटेलिस्ट की भूमिका निभा सकते हैं पर आम लोगों की उम्मीदें और आकांक्षाएं स्थानीय नेतृत्व पर ही रहतीं हैं।हालाँकि, बड़ा सवाल यह है कि २०२४ (2024) के लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के नतीजों का कितना असर रहेगा। यह बोलना की इन नतीजों का शायद कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, तो यह गलत होगा। कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की शानदार जीत कहीं न कहीं जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रोत्साहित करने में बहुत हद तक मदद करेगी। इस जीत ने कांग्रेस पार्टी को सही राजनीतिक निर्णय और सशक्त नेतृत्व देने वाली राजनितिक दल की हैसियत से आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए एक प्रमुख दावेदार भी बना दिया है। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी को लगता है कि उनकी कर्नाटक चुनाव की सफलता राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप बेहतर प्रदर्शन में तब्दील हो जाएगी तो शायद बेहतर होगा कि वे इसको राष्ट्रीय परिपेक्ष में सोचें। कर्नाटक के चुनावी परिणामों को राष्ट्रीय स्तर पर एक नज़र से देखना कांग्रेस पार्टी के लिए भारी पर सकता है क्योंकि राजनितिक और सामाजिक रूप में परिस्थितियां राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह भिन्न होती हैं। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की एक कमजोर नेता वाली अलोकप्रिय सरकार थी लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी एक सशक्त नेतृत्व वाली लोकप्रिय सरकार बनी हुई है और बहुत सारे राज्यों में भाजपा की सामाजिक और राजनितिक समीकरण बहुत ही मजबूत है चाहे वह सत्ता में हों या विपक्ष में और यह राज्य बहुत हद तक सीधे तौर पर उनकी लोकसभा की सीटें सुनिश्चित करती हैं । यह कह देना की कर्नाटक का चुनावी जीत आने वाले २०२४ (2024) के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में आने का दिक्दर्शक है तो यह शायद बहुत ही सरलीकरण और काल्पनिक विश्लेषण होगा।
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