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इजराइल-हमास संघर्ष में सोशल मीडिया को गलत सूचना के माध्यम से एक घातक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है?

नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हक़ीकत न्यूज़, इंडिया, भारत : इज़राइल और फ़िलिस्तीनी समूह हमास के बीच संघर्ष के कारण आम नागरिकों को भारी क्षति झेलनी पर रही है। उपलब्ध आकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या हजारों के तादाद में है जिसमें निर्दोष इज़राइली और फ़िलिस्तीनी दोनों लोग शामिल हैं। इज़राइल-हमास संघर्ष, इराक युद्ध के बाद मध्य पूर्व में सबसे बड़े संघर्षों में से एक है । इस युद्ध ने दुनिया को पूरी तरह से ध्रुवीकृत कर दिया है। एक ओर वे लोग हैं जो फ़िलिस्तीनी मुक्ति में विश्वास करते हैं। दूसरी ओर अपने निर्दोष नागरिकों की हत्याओं का बदला लेने के इज़राइल के अधिकार का अमेरिकी सरकार से लेकर यूरोपीय संघ तक सभी ने समर्थन किया है। यह युद्ध केवल भौतिक क्षेत्र में नहीं लड़ा जा रहा है। सोशल मीडिया इस समय एक डिजिटल युद्ध का मैदान बन गया है जहां दोनों पक्षों को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अब माहौल ऐसा बना है की  दुनिया की किसी भी प्रमुख घटनाओं के साथ लगभग तुरंत ही अफ़वाहों और दुष्प्रचार की बाढ़ सी आ जाती है जिसका उद्देश्य घटनाओं की कथा को अपने हिसाब से नियंत्रित और जन समक्ष में प्रस्तुत करना है। जिस पैमाने और गति से इजराइल-हमास संघर्ष के बारे में  हर तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अफ़वाह और दुष्प्रचार किया जा रहा है वह अभूतपूर्व है। इज़राइल-हमास संघर्ष को पुराने वीडियो, नकली फोटो और वीडियो गेम फ़ुटेज से उस स्तर तक प्रभावित किया जा रहा है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया है। सत्यापित और तथ्य-परीक्षित जानकारी दिखाए जाने के बजाय, वीडियो गेम फ़ुटेज को हमास के हमले के फ़ुटेज के रूप में प्रसारित किया गया है और अल्जीरिया में आतिशबाजी समारोह की छवियों को हमास पर इज़राइली हमलों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। एक अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबाल सुपरस्टार की फ़िलिस्तीनी झंडा थामे हुए नकली तस्वीरें भी प्रचारित की गयी है और सीरियाई गृहयुद्ध के तीन साल पुराने वीडियो को फिर से इस तरह पेश किया गया जैसे कि यह इस सप्ताह के अंत में लिया गया हो। ऐसा लग रहा है कि दोनों पक्षों ने एक  लंबी लड़ाई के लिए तैयारी कर ली है। तो स्वाभाविक रूप से, सैन्य शक्ति के प्रदर्शन से लेकर अपने  दुश्मन को क्रूर और अमानवीय के रूप में चित्रित करने से लेकर, पीड़ितों की दुर्दशा को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने तक सोशल मीडिया पर परस्पर विरोधी कहानियों की बाढ़ सी लग गयी है। ये मनगढ़ंत और गलत सूचनायें अपने पक्ष को एक सकारात्मक रूप और  दुश्मनों को नकारात्मक रूप में  दर्शाने की और सोशल मीडिया पर अनियंत्रित दुष्प्रचार का एक घातक मिश्रण सा बनता जा रहा है। जब तक किसी प्रकार का वैश्विक हस्तक्षेप नहीं होगा शायद यह युद्ध और चरम पर जाने की आशंका है।और जैसे-जैसे यह युद्ध जारी रहेगा समानांतर रूप से सोशल मीडिया पर यह आरोप और प्रत्यारोप की दुष्प्रचार सूचना युद्ध भी जारी रहेगा। आज के डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म में तथ्यात्मक और सच  रिपोर्टिंग से ज्यादा दर्शकों की संख्या ( viewership) मायने रखती है भले ही वह मनगढ़ंत हो। और इस दृश्य संख्या को अधिकतम करने के  प्रयास में अक्सर सच्चाई दब कर रह जाती है ।

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