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श्रीलंकाई आर्थिक संकट क्या भारत वर्ष की अर्थव्यस्था परिचालना को कोई सन्देश दे रहा है?

नन्द दुलाल भट्टाचार्य, हकीकत न्यूज़, कलकत्ता : चल रहे २०१९– २०२२ (2019 –2022)  श्रीलंकाई आर्थिक संकट की विशेषता आर्थिक कुप्रबंधन, बाहरी ऋण में वृद्धि, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, कमजोर मुद्रा और बढ़ती कीमतों की है। संकट कई जटिल कारकों जैसे कर कटौती, धन निर्माण, जैविक खेती में स्थानांतरित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नीति के साथ-साथ २०१९ (2019)  में ईस्टर बम विस्फोट, कोरोना महामारी का प्रभाव और राजनितिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों ( freebies)  का अत्यधिक वितरण जैसी घटनायें उत्प्रेरक ( catalyst) के रूप में जिम्मेदार हैं । उत्पादन में गिरावट और भोजन की कमी के बाद जैविक खेती में बदलाव को उलट दिया गया। श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डब्ल्यू.ए. विजेवर्धने के अनुसार, देश २०१५ (2015)  में आर्थिक संकट में एक लंबा सफर तय कर चुका था। २०१५ (2015)  में सत्ता में आने वाली सरकार को यह पता था और श्रीलंका के नीति अध्ययन संस्थान द्वारा कई आर्थिक जोखिमों की चेतावनी भी दी गई थी। जबकि २०१५ ( 2015)  में प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने स्थिति को संबोधित करने के लिए एक मजबूत आर्थिक नीति प्रस्तुत की थी लेकिन गठबंधन सरकार संसद के माध्यम से नीति को आगे नहीं बढ़ा सकी, जिसके परिणामस्वरूप आने वाले महीनों में और नीतिगत भ्रम पैदा हो गया और  सरकार ने आर्थिक चेतावनियों और उभर रहे नए खतरों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया। २०१० ( 2010)  के बाद से, श्रीलंका का विदेशी ऋण २०१० (2010)  और २०२० ( 2020)  के बीच दोगुने से अधिक हो गया है।  जबकि २०१९ (2019)  में विदेशी ऋण सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) का लगभग ४२ %  (42%)  था  यह  २०२१ (2021)  में अपने सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) का ११९ % (119 %)  हो गया।  २०२२ (2022)  के अंत तक देश को देनदारों को ४ (4) बिलियन अमरीकी डालर का भुगतान करना है जबकि अप्रैल २०२२ (2022) में सरकारी भंडार २. ३ (2.3)  बिलियन अमरीकी डालर था। चलिए अब थोड़ा श्रीलंकाई आर्थिक  संकट को मद्दे नज़र रखते हुये वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था  की स्तिथि समझने की कोशिश करते हैं।  श्रीलंका की कुल अर्थव्यवस्था ८० (80)  अरब डॉलर है  जबकि भारत की अर्थव्यवस्था करीब सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) ३ .२५ ( 3 .25) ट्रिलियन डॉलर है और क्रय शक्ति समता ( Purchasing power parity) ११.३५ (11. 35) ट्रिलियन डॉलर है। श्रीलंका के पास २. ३  ( 2.3)  अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है  जबकि भारत के पास ६१८ ( 618) अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। श्रीलंका का वार्षिक निर्यात १५ (15)  अरब डॉलर है, जबकि भारत का ४१८ (418) अरब डॉलर है। श्रीलंका की खाद्य मुद्रास्फीति 32% है, जबकि भारत की 5.85% है। पड़ोसी देश होने और साझा इतिहास होने के कारण भारत और श्रीलंका में कई समानताएं हैं। दोनों लोकतांत्रिक देश हैं और अतीत में कभी ब्रिटिश उपनिवेश थे। अंग्रेजी भाषा को दोनों देशों में शिक्षा, वैज्ञानिक और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त है और व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। देशों को निम्न मध्यम आय वर्ग में वर्गीकृत किया गया है। हालांकि एक बड़े देश के रूप में  भारतीय अर्थव्यवस्था अपने पड़ोसी की तुलना में अधिक चुनौतियां पेश करती है। भारत की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) $2,313  है । दोनों देश सरकारी पारदर्शिता और आय असमानता की समस्याओं से झूझ रहे हैं।  हाल ही में शीर्ष अधिकारियों और  प्रधान मंत्री मोदी के बीच वित्तीय तथ्यों को लेकर बैठक के दौरान कई शीर्ष नौकरशाहों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी कि कई राज्यों में मुफ्त की घोषणाएं आर्थिक रूप से अस्थिर हैं और उन्हें एक संतुलित निर्णय लेने के लिए राजी करने की आवश्यकता है। उन्होंने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा वादा किए गए लोकलुभावन पहल और मुफ्त उपहारों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आगाह किया कि यदि रुझान जारी रहता है, तो कुछ राज्यों में नकदी की तंगी वाली श्रीलंका जैसी ही स्थिति हो सकती है।अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा हर चुनाव से पहले मुफ्त उपहार देने की होड़ का राज्य और केंद्र सरकार के वित्त के लिए बड़े दीर्घकालिक परिणाम होंगे।

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